आरक्षण

 


आरक्षण को लेकर अब ज्यादा सतर्कता जरूरी


 


आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली ने पिछले दिनों दिया है किंतु इससे आहत वर्ग इसे न्यायालय की परिधि से बाहर करने हेतु आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाले जाने हेतु संविधान संशोधन की मांग करते हुए राजनीतिक सामाजिक वातावरण बनाकर ठीक एक्टोसीटी एक्ट की तरह बदलाव कराना सरकार और राजनीतिक दलों से चाहता है। यदि ऐसा हुआ तो यह संपूर्ण ब्राह्मण समाज सहित सवर्ण समाज के आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही घातक होगा,इसलिए  आप से निवेदन है कि इस प्रयास का तीव्र विरोध हमें करना चाहिए। इसकी शुरुआत हर व्यक्ति अपने फेसबुक व्हाट्सएप टि्वटर इंस्टाग्राम आदि अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को बुलंद करें और सरकार व राजनीतिक दलों को यह चेतावनी दें कि यदि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बदलने का यदि कोई भी राजनीतिक दल या सरकार    यदि कोशिश करेगी तो उसका तीव्र विरोध किया जाएगा।   आरक्षण   प्राप्ति वाला वर्ग सभी जनप्रतिनिधियों से अभियान चलाकर इसे संविधान की नौवीं सूची में जोड़ने हेतु भी राजनीतिक दबाव व वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है। हमें ऐसे जनप्रतिनिधियों जो इस वर्ग के हित में और हमारे विरुद्ध इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। हम लोगों को उनसे भी सोशल मीडिया के माध्यम से सवाल जवाब करना चाहिए। 


-सुरेंद्र चतुर्वेदी, अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज