कोरोना मरीजों की पहचान छुपाने के विरुद्ध लगाई जनहित याचिका
जबलपुर। कोरोना संक्रमित के नाम प्रकाशित - प्रसारित करने पर रोक लगाने संबंधी मध्य प्रदेश शासन के 19 मई केआदेश के विरुद्ध समाजसेवी डॉ एच पी तिवारी द्वारा एडवोकेट परेश पारीक के माध्यम से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है।जिसमें कहा गया है कि शासन ने कोरोना संक्रमितों की पहचान उजागर करने पर प्रतिबंध लगाकर जाने अनजाने स्वयं ही नागरिकों को कोरोना के मुंह में ढकेल दिया है।अभी तक किसी कोरोना पॉजिटिव का नाम और पता प्रकाशित - प्रसारित होने पर लोगों को खुद के साथ उस व्यक्ति से जाने अनजाने में हुए संपर्कों का पता चल जाता था।और उसके संपर्क में आए लोग स्वयं ही जिला अस्पतालों में जाकर स्वयं का टेस्ट करवा लेते थे और संक्रमित होने पर हास्पिटल में एडमिट हो जाते थे। जिससे समय पर उपचार आरंभ हो जाने से जहां एक ओर उनका स्वयं का जीवन बच जाता था तो वहीं दूसरी ओर वे स्वयं के संपर्कों द्वारा अन्य कई लोगों को संभावित संक्रमण से बचा लेते थे। परन्तु शासन के इस घातक निर्णय से कोरोना अब तेजी से अपने पैर पसारेगा।
याचिका कर्ता डॉ एच पी तिवारी ने बताया कि आरोग्य सेतु एप के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में स्वयं के किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने की जानकारी भी मेंशन करनी पड़ती है। परंतु सरकार द्वारा संक्रमितों की पहचान छुपा लेने के कारण व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि वह व्यक्ति किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आया भी है या नहीं।इस प्रकार सरकार का यह निर्णय आरोग्य सेतु एप के भी विरुद्ध है।अभी पूरे देश में स्वस्थ होकर घर लौटने वाले कोरोना मरीजों का बैंड बाजों तथा ढोल नगाड़ों व पुष्प वर्षा कर उत्सव जैसे माहौल में आत्मीय स्वागत किए जाने की प्रशंसा विदेशों में भी हो रही है। अर्थात कोरोना मरीजों से किसी भी प्रकार का भेद भाव करने की बजाय आम जनता उन्हें सर आंखों पर बैठालती है । ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमितों की पहचान छुपाना बेहद जानलेवा और व्यापक जनहित के विरुद्ध है। याचिका में मध्य प्रदेश शासन के उक्त आदेश को निरस्त कर शासन को प्रत्येक कोरोना पॉजिटिव की पहचान उजागर करने के निर्देश देने की प्रार्थना माननीय उच्च न्यायालय से की गई है।