अपनी बात
पं. योगेंद्र जोशी
संस्कार और साधना है ब्राह्मणों
की वास्तविक शक्ति
यदि कोई प्रश्न करे कि ब्राह्मणों के पास क्या है? आखिर उनमें क्या विशेषता है कि लोग उनका सम्मान करें और वे श्रद्धा के पात्र माने जाएं? सवाल सीधा-सा है और उसका उत्तर भी उतना ही आसान है, कि संस्कार और साधना ही ब्राह्मणों की वास्तविक शक्ति है। इनके बिना ब्राह्मण को ब्राह्मण कहलाने का अधिकार नहीं है। हां, यह बात अलग है कि संस्कार पाने के लिए शिक्षा और बौद्धिक कौशल की आवश्यकता होती है। इसी तरह साधना के लिए परमपिता परमेश्वर के प्रति आस्था, संस्कार, निर्मल मन और पवित्र जीवनशैली की जरूरत होती है। वास्तव में देखा जाए तो शिक्षा सबसे ऊपर है, उसके बिना शेष विशेषताएं हासिल करना दुष्कर है। क्योंकि विद्या ददाति विनयम्, विनया ददाति पात्रताम्, पात्रत्वादध माप्नोति, धनाद धर्म: तत: सुखम्।। हां, विद्या का आशय यह भी है कि व्यक्ति अद्यतन रहे। उसे पुरातन ज्ञान के साथ ही आधुनिक तकनीक और भविष्य का पूर्वाभास भी होना आवश्यक है। इन सबके बीच सबसे बड़ी चुनौती है कि व्यक्ति आधुनिकता में ही इतना न डूब जाए कि उसे भविष्य की सुध ही नहीं रहे।
आज के समय में ऐसा नहीं है कि शिक्षा, ज्ञान और तकनीक की आवश्यकता के बारे में लोग नहीं जानते-समझते..., लेकिन गड़बड़ यह हो रही है कि वे भविष्य के प्रति उदासीन और लापरवाह हैं, संभवत: यही कारण है कि बच्चों के लेकर बड़े तक मोबाइल के प्रति पागलपन की सीमा तक आशक्त हैं। बड़ों के हाथों में तो एक मुकाम हासिल करने के बाद मोबाइल आया है लेकिन बच्चों के हाथ में मोबाइल का आना उनके भविष्य को तबाह करने वाले विस्फोटक की तरह है। यह मोबाइल न केवल उनके विद्यार्जन का समय छीन रहा है बल्कि वे संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं। शिक्षा के साथ जिस समय में उन्हें अपने गुरु, परिवार और पड़ोसियों से संस्कार और आचरण सीखना चाहिए, वह समय वह सोफे या पलंग पर बैठकर मोबाइल में बिता रहा है। आज का बच्चा मोबाइल और टीवी में इतना मशगूल है कि वह उसके बिना नहीं रह सकता। हम बड़े भी इस बात से अनजान हैं कि बच्चा मोबाइल में घुसकर सीधे भविष्य की बिगड़ी दुनिया में पहुंच रहा है। सही मायने में हम बच्चों के साथ ही अपना, समाज और देश का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।