5 को गुरु पूर्णिमा, 6 से श्रावण सोमवार


 


5 को गुरू चरण वंदन....


6 जुलाई से गूंजेगा जय महाकाल...जय भोलेनाथ
उज्जैन। 5 जुलाई को गुरू पूर्णिमा है तो वहीं अगले दिन 6 जुलाई सोमवार से श्रावण माह की शुरूआत होगी। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर जहां श्रद्धालु गुरू चरण वंदना कर गुरू का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे तो वहीं अगले दिन से भोले की भक्ति में भक्त रमेंगे। बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में दोनों ही अवसरों का विशेष महत्व प्रतिपादित किया गया है।
साल 2020 के जून में लगातार दो ग्रहण का संयोग बना। 
पांच जून को पड़ा पहला चंद्रग्रहण दिखाई नहीं दिया और दूसरा सूर्यग्रहण 21 जून को पड़ा, जो देश भर में दिखाई दिया। अब पांच जुलाई को चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण दक्षिण एशिया के अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। इसी दिन गुरु पूर्णिमा है, चंद्रग्रहण का असर न होने से गुरु पूर्णिमा श्रद्धाभाव से मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा के दिन साक्षात गुरुदेव अथवा गुरु के छायाचित्र की पूजा-अर्चना करके गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन मंत्रों का जाप करने से सफलता के द्वार खुलेंगे और बल बुद्धि में वृद्धि होगी। यदि किसी की कुंडली में काल सर्प दोष हो तो इससे छुटकारा पाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा करके आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। इस बार श्रावण माह की शुरूआत पर विशेष संयोग बन रहे हैं। 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर भगवान व्यासजी की पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद 6 जुलाई को श्रावण माह शुरू हो जाएगा। खास बात है कि इस बार श्रावण माह सोमवार से शुरू हो रहा है और समापन भी 3 अगस्त को सोमवार के दिन ही होगा। इस दिन पूर्णिमा है और रक्षाबंधन का पर्व भी है।  इस बार श्रावण माह 29 दिनों का है और इसमें 5 सोमवार आएंगे।  इस माह में सोमवार का दिन विशेष होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। 6 जुलाई को शुभारंभ सोमवार से और समापन भी सोमवार को ही होगा। पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 को, तीसरा 20 को, चौथा 27 को तथा पांचवां और आखिरी सोमवार तीन अगस्त को आएगा। हर सोमवार को पूजा के अलग-अलग संयोग बन रहे हैं। हर सोमवार की पूजा अलग-अलग तरह से फलदायी रहेगी।